आयुष चिकित्सक देवदूत बने

बस्ती18 अप्रैल।कोरोना महामारी के जंग में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से जुड़े आयुष चिकित्सक देवदूत बन उभरे हैं। ये गांवों में मरीजों की पहचान कर क्वारंटीन कराते हैं ताकि कोविड संक्रमण पर अंकुश लग जाए।
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जिले में आरबीएसके चिकित्सकों की संख्या 52 है। इधर कोरोना का कहर बढ़ा तो सरकार ने आयुष चिकित्सकों को जमीनी स्तर पर जिम्मेदार सौंपी तभी से आरबीएस डॉक्टर गांव-गांव जाकर बाहर से आने वालों को खोज कर रहे हैं।


राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत प्रत्येक सीएचसी पर दो टीमें हैं। प्रत्येक टीम में एक महिला और एक पुरुष चिकित्सक तथा दो पैरा मेडिकल स्टाफ होते हैं। वर्तमान में बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के अलावा टीबी, लेप्रोसी, कुपोषण, बर्थ डिफेक्ट, एनीमिया सहित चालीस बीमारियों को चिह्नित कर मुख्यालय पर उपचार कराने की जिम्मेदारी भी इन्हीं की है। कोरोना महामारी के जंग में भी इनकी टीम मैदान में है।